भारत में पुश्तैनी संपत्ति यानी Ancestral Property को लेकर सबसे ज्यादा विवाद और कन्फ्यूजन देखने को मिलता है। अक्सर लोग यह नहीं जानते कि उन्हें इस संपत्ति में कब, कितना और कैसे अधिकार मिलता है। 2025 में लागू कानूनों और कोर्ट के नए फैसलों के बाद Ancestral Property Rights पहले से ज्यादा साफ और मजबूत हो चुके हैं। इस आर्टिकल में हम आसान Hindi-English mix में समझेंगे कि पुश्तैनी संपत्ति क्या होती है, उसमें किसे कितना हक मिलता है और अपना हिस्सा लेने का सही कानूनी तरीका क्या है।
Ancestral Property क्या होती है
Ancestral Property वह संपत्ति होती है जो चार पीढ़ियों से बिना किसी बंटवारे के चली आ रही हो। यानी परदादा, दादा, पिता और संतान तक संपत्ति का ट्रांसफर अपने आप होता है। अगर किसी संपत्ति को पिता ने खुद खरीदा है तो वह Self-Acquired Property मानी जाती है, न कि Ancestral Property। यह फर्क समझना बहुत जरूरी है क्योंकि अधिकार सिर्फ पुश्तैनी संपत्ति में ही जन्म से मिलते हैं।
पुश्तैनी संपत्ति में किसे अधिकार मिलता है
Hindu Succession Act के अनुसार अब बेटे और बेटी दोनों को बराबर अधिकार मिलता है। 2005 के संशोधन और बाद के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के बाद यह साफ हो गया है कि बेटी का अधिकार जन्म से होता है, चाहे पिता जीवित हों या नहीं। बेटे, बेटी, पत्नी और मां सभी कानूनी उत्तराधिकारी माने जाते हैं, लेकिन हिस्सा तभी बनता है जब संपत्ति पुश्तैनी हो।
2025 में Ancestral Property Rights के नए नियम
2025 तक आते-आते कोर्ट ने कई मामलों में यह स्पष्ट किया है कि अगर संपत्ति का कभी बंटवारा नहीं हुआ है, तो हर Coparcener को बराबर हिस्सा मिलेगा। Coparcener में बेटे और बेटियां दोनों शामिल हैं। अगर पिता ने पुश्तैनी संपत्ति को बिना सहमति बेचा है, तो संतान उसे कोर्ट में चुनौती दे सकती है। यह नियम लोगों के अधिकारों को और मजबूत बनाता है।
पुश्तैनी संपत्ति में हिस्सा कैसे तय होता है
मान लीजिए परिवार में पिता और दो बच्चे हैं, तो संपत्ति तीन बराबर हिस्सों में बंटेगी। अगर बच्चों में बेटा और बेटी दोनों हैं, तो दोनों को समान हिस्सा मिलेगा। शादीशुदा या अविवाहित होने से अधिकार पर कोई फर्क नहीं पड़ता। यह नियम आज के समय में सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवालों में से एक है।
Ancestral Property में हिस्सा लेने की कानूनी प्रक्रिया
सबसे पहले यह साबित करना जरूरी होता है कि संपत्ति पुश्तैनी है। इसके लिए पुराने रेवेन्यू रिकॉर्ड, खसरा-खतौनी, रजिस्ट्री या वंशावली दस्तावेज़ जरूरी होते हैं। इसके बाद परिवार के सदस्यों के बीच आपसी सहमति से Partition Deed बनाई जा सकती है। अगर सहमति नहीं बनती, तो सिविल कोर्ट में Partition Suit फाइल किया जाता है। कोर्ट दस्तावेज़ों की जांच करके सभी को उनका कानूनी हिस्सा दिलाता है।
क्या पिता अकेले पुश्तैनी संपत्ति बेच सकता है
यह एक बहुत आम सवाल है। कानून के अनुसार पिता पूरी पुश्तैनी संपत्ति को अपनी मर्जी से नहीं बेच सकता। अगर बिक्री Family Necessity के लिए नहीं की गई है, तो संतान उस Sale Deed को रद्द कराने के लिए कोर्ट जा सकती है। 2025 में यह नियम और ज्यादा सख्ती से लागू किया जा रहा है।
महिलाओं के अधिकार Ancestral Property में
आज के समय में बेटियों के अधिकार पूरी तरह सुरक्षित हैं। बेटी शादी के बाद भी पुश्तैनी संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार रहती है। कोई भी परिवार उसे सिर्फ शादी के आधार पर अधिकार से वंचित नहीं कर सकता। यह बदलाव समाज के लिए एक बड़ा कदम माना जाता है।
Ancestral Property से जुड़े आम विवाद और समाधान
अक्सर विवाद बंटवारे में देरी, दस्तावेज़ों की कमी और गलत जानकारी की वजह से होते हैं। सही कानूनी सलाह, समय पर दस्तावेज़ तैयार करना और आपसी बातचीत से कई विवाद बिना कोर्ट गए सुलझ सकते हैं। लेकिन अगर मामला जटिल हो, तो कोर्ट का रास्ता सबसे सुरक्षित माना जाता है।
Conclusion
Ancestral Property Rights 2025 में पहले से ज्यादा स्पष्ट और मजबूत हो चुके हैं। अब बेटे और बेटी दोनों को बराबर अधिकार मिलता है और किसी भी तरह का भेदभाव कानूनन गलत है। अगर आपकी फैमिली में पुश्तैनी संपत्ति है और आप अपना हक लेना चाहते हैं, तो सही जानकारी और सही कानूनी प्रक्रिया अपनाना बहुत जरूरी है। समय पर कदम उठाने से आप अपने अधिकार सुरक्षित रख सकते हैं और भविष्य के विवादों से बच सकते हैं।